इसका नाम इन्द्रियों को वश में करना या नामजप इत्यादि है.
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यह अपने आप को अनुशासित तथा नियन्त्रित करने के साधन हैं और इन्द्रियों को वश में करना मात्र है।
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हमें अपनी इन्द्रियों को वश में करना है, शारीरिक वासनाओं की तृप्ति तो जीवन का निम्नकोटि का सुख है।
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इन्द्रियों मन के अधीन होकर काम करतीं हैं अतएवं मन को वश में करना ही इन्द्रियों को वश में करना है।
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इन्द्रियों मन के अधीन होकर काम करतीं हैं अतएवं मन को वश में करना ही इन्द्रियों को वश में करना है।
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महाभारत / उद्योग पर्व 38 / 38 अर्थात धैर्य, मनोनिग्रह, इन्द्रियों को वश में करना, दया मधुर वाक्य और मित्रों से वैर न करना ये सात बातें लक्ष्मी (ऐश्वर्य) को बढ़ाने वाली हैं।
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आप जितना अपनी इन्द्रियों में लिप्त रहेंगे वो उतनी ही ज्यादा इच्छा करेंगी तो उपवास करके हम अपनी इन्द्रियों को वश में करना सीखते हैं जिससे हम अपने मष्तिष्क को फिर से तैयार कर सकें उसे सुकून दे सकें.